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सुग्रीवा
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سُٖگرِوا
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سوگریوا
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சுக்ரிவா
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সুগ্রীবা
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ਸੁਗ੍ਰੀਵਾ
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ସୁଗ୍ରୀବା
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સુગ્રીવા
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गोदोना फंलें
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सुंदर मानेचें
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خوبصوٗرَت گَردَن واجیٚنۍ
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خوبصورت گردن والا
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கழுத்தழகான
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మంచిముఖం కలిగిన
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সুন্দর গ্রীবাযুক্ত
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ਮੋਰ ਵਰਗੀ
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സുഗ്രീവ
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സുഗ്രീവയായ
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સુગ્રીવ
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ಸುಗ್ರೀವಾ
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सुग्रीव
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पौष शुद्ध ४
दिन विशेष - वर्षातील प्रत्येक दिवसाचे ऐतिहासीक महत्व.
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किष्किन्धाकाण्ड - श्लोक
गोस्वामी तुलसीदासजीने रामचरितमानस ग्रन्थकी रचना दो वर्ष , सात महीने , छ्ब्बीस दिनमें पूरी की। संवत् १६३३ के मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष में रामविवाहके दिन सातों काण्ड पूर्ण हो गये।
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अध्याय १९ - कश्यपवंशवर्णनम्
अग्निपुराणात त्रिदेव – ब्रह्मा, विष्णु, महेश आणि सूर्य ह्या देवतांसंबंधी पूजा-उपासनाचे वर्णन केलेले आहे.
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रुमा
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अध्याय सतरावा - श्लोक १५१ ते २१५
श्रीधरस्वामी रचित ’ श्रीरामविजय ’ ग्रंथाचे पारायण केल्याने जीवनातील वनवास संपून सुख प्राप्त होते.
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कीर्तन आख्यान - वालीताराख्यान
कीर्तनकारांना नित्य उपयोगी अशी आख्याने. विष्णुदासांनी याला ’कीर्तन-मुक्ताहार’ असे नाव दिले होते.
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अध्याय अठरावा - श्लोक ५१ ते १००
श्रीधरस्वामी रचित ’ श्रीरामविजय ’ ग्रंथाचे पारायण केल्याने जीवनातील वनवास संपून सुख प्राप्त होते.
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रामाचे मंद भाग्य
अण्णा जसे शास्त्रविद्येंत निपुण होते, तसेंच श्रौतस्मार्तज्ञकर्मविधींतही अपूर्व निष्णात होते.
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विविध विषय - करुणा प्रार्थना
श्री समर्थांनी दासबोध ग्रंथासोबतच गाथा रचून इतिहास घडविला आहे .
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अध्याय सव्वीसावा - श्लोक १५१ ते २००
श्रीधरस्वामी रचित ’ श्रीरामविजय ’ ग्रंथाचे पारायण केल्याने जीवनातील वनवास संपून सुख प्राप्त होते .
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खंड २ - अध्याय २८
मुद्गल पुराणात श्री गणेशाच्या आठ अवतारांचे वर्णन आहे.
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मोरोपंतकॄत सप्तशती - अध्याय ३
सप्तशतीदेवी माहात्म्य नित्य पठन केल्याने सर्व शत्रूंचा नाश होतो, विशेषेकरून नवरात्रीत पाठ केल्याने जास्त परिणाम जाणवतात.
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तृतीय चरित्र - अध्याय पहिला
मोरोपंत हे जरी संत नव्हते, तरी सदाचरणी, सच्छील असे ते एक विद्वान् गृहस्थाश्रमी होते.
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अध्याय अठरावा - श्लोक १ ते ५०
श्रीधरस्वामी रचित ’ श्रीरामविजय ’ ग्रंथाचे पारायण केल्याने जीवनातील वनवास संपून सुख प्राप्त होते.
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अध्याय सतरावा - श्लोक ५१ ते १००
श्रीधरस्वामी रचित ’ श्रीरामविजय ’ ग्रंथाचे पारायण केल्याने जीवनातील वनवास संपून सुख प्राप्त होते.
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सप्तशती आर्या - अध्याय ३
मोरोपंतांनी सप्तशती आर्या लिहून मराठी जनांवर उपकार केले आहेत.
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राम सहवास - अभंग ९३७ ते ९४४
श्रीसंतएकनाथ महाराजांची गाथा म्हणजे श्रीराम व श्रीकृष्णाच्या अवताराचे मनोवेधक वर्णन.
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अध्याय तेवीसावा - श्लोक १ ते ५०
श्रीधरस्वामी रचित ’ श्रीरामविजय ’ ग्रंथाचे पारायण केल्याने जीवनातील वनवास संपून सुख प्राप्त होते .
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भविष्यपर्व - सप्ततितमोऽध्यायः
महर्षी व्यासांनी रचलेला हा महाभारताचा पुरवणी ग्रंथ आहे.
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अध्याय एकतीसावा - श्लोक ५१ ते १००
श्रीधरस्वामी रचित ’ श्रीरामविजय ’ ग्रंथाचे पारायण केल्याने जीवनातील वनवास संपून सुख प्राप्त होते .
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ९१
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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रामदासांचे अभंग - २१ ते ३०
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला, समर्थ रामदास स्वामींचे अभंग भावार्थासहित.
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पदे ३५१ ते ४००
ही प्रत नागोशी शिवनाथ तोतड्या वाशिष्ठगोत्री याने शके १६१६ भावनाम संवत्सरी माघ वद्य ८ स गणेशभट हराळे या भिक्षुकाच्या वहीवरून उतरून घेतली.
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लंकाकाण्ड - दोहा ४१ से ५०
गोस्वामी तुलसीदासजीने रामचरितमानस ग्रन्थकी रचना दो वर्ष , सात महीने , छ्ब्बीस दिनमें पूरी की। संवत् १६३३ के मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष में रामविवाहके दिन सातों काण्ड पूर्ण हो गये।
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किष्किन्धाकाण्ड - दोहा १ से १०
गोस्वामी तुलसीदासजीने रामचरितमानस ग्रन्थकी रचना दो वर्ष , सात महीने , छ्ब्बीस दिनमें पूरी की। संवत् १६३३ के मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष में रामविवाहके दिन सातों काण्ड पूर्ण हो गये।
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श्री नारदीयमहापुराणम् - नामैकोननवतितमोऽध्यायः
`नारदपुराण’ में शिक्षा, कल्प, व्याकरण, ज्योतिष, और छन्द-शास्त्रोंका विशद वर्णन तथा भगवानकी उपासनाका विस्तृत वर्णन है।
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विठोबा अण्णा दफ़्तरदार
महाराष्ट्र कविचरित्र - लेखक जगन्नाथ रघुनाथ आजगांवकर.
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